माँ में बसता है भगवान - Hindi Love ...All Love Fourmula In Hindi

Friday, November 13, 2015

माँ में बसता है भगवान




हर व्यक्ति को अपने
जीवन के रंगमंच पर कई किरदारों को निभाना पड़ता है। रिश्तों की उधेड़बुन के इस नाटक में कुछ का अभिनय इतना अच्छा होता है कि वो हर
किरदार में फिट बैठ जाते हैं और कुछ किरदार स्वत: ही ऐसे दमदार होते हैं, जिसमें हर कोई फिट बैठ जाता है।
माँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एकसाथ होती हों।
एक औरत के रूप में संतान को जन्म देकर माँ अपने कुल का मान बढ़ाती है तो वहीं उसे संस्कारों का पाठ पढ़ाकर मर्यादा की आचार-संहिता में जीना सिखाती है। माँ शब्द जितना मीठा है, उतनी ही मीठी माँ की ममता भी।
माँ, औरत का एक ऐसा किरदार है, जिसमें संपूर्णता, पवित्रता, त्याग, ममता, प्यार सब कुछ निहित होता है। शायद ही दुनिया का कोई अन्य रिश्ता ऐसा हो, जिसमें इतनी सारी खूबियाँ एकसाथ होती हों।
अपनी संतानों के लिए हमेशा बेहतर और भला सोचने वाली माँ हर वक्त इसी चिंता में डूबी रहती है कि मेरा बच्चा कहाँ और कैसा होगा।
माँ की अँगुली पकड़कर स्कूल जाने से लेकर शादी-ब्याह रचाकर संतान होने के बाद ‍तक भी हम भले ही उम्र में बहुत बड़े, समझदार व गंभीर हो जाते हैं परंतु माँ की चिंता हमारे लिए तब भी वैसी ही रहती है, जैसी कि बचपन में होती थी।
अपनी हर
सा
ँस के साथ माँ अपनी संतान की सलामती व तरक्की की दुलाएँ माँगती है। उसकी पूजा-पाठ, आराधना, व्रत-उपवास, आशीर्वाद हर चीज में बस दुआएँ शामिल होती हैं अपने परिवार की सलामती की।
मैं तो यही कहूँगी कि यदि ईश्वर ने धरती पर जन्म लिया है तो बस माँ के रूप में। यदि आपके पास भी माँ है तो दुनिया के सबसे सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से एक है। अपने पास इस माँ रूपी ईश्वर को हमेशा साथ रखें।

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