कपड़े हो गये छोटे, लाज़ कहाँ सेँ आएगी !
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अनाज हो गया हाइब्रिड, ताकत कहाँ से आएगी !
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फूल हो गया प्लास्टिक का, सुगंध कहाँ से आएगी !
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चेहरा हो गया मेकअप का, रूप कहाँ से आएगा !
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शिक्षक हो गये ट्यूशन के, विद्या कहाँ से आएगी !
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भोजन हो गए होटल के, तंदुरुस्ती कहाँ से आएगी !
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प्रोग्राम हो गये केबल के, संस्कार कहाँ से आयेगें !
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आदमी हो गये पैसो के, दया कहाँ से आएगी !
. और . कड़वा सच तो ये है भगवान हो गए पत्थर के भक्ति कहां से आएगी.. भक्ति करने वाले हो गये मतलबी और स्वार्थी, भगवान कहाँ से आएंगे....!!!
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